THE BASIC PRINCIPLES OF SHIV CHAISA

The Basic Principles Of Shiv chaisa

The Basic Principles Of Shiv chaisa

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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

कीन्ह दया तहँ करी Shiv chaisa सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।

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कीन्ही दया तहं करी सहाई। Shiv chaisa नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन

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